This is the last post for 2012, and another outburst on the recent turn of events. Hope 2013 starts on a better note!
हमारी सब्र के और कितने इम्तिहान बाकी हैं
हश्र से भी आगे कितने तूफ़ान बाकी हैं
हर मोड़ पर खड़े हैं जो सब वहशी हैं या दीवाने
है कौन सी वो जगह जहाँ इंसान बाकी हैं
ज़ख्म दर्द ज़ुल्म तड़प सब दे चुका हम को
ज़माने के और क्या एहसान बाकी हैं
जुबां खामोश है, दिल नाशाद हैं लाचार हैं
हमारी आज़ादी की क्या पहचान बाकी हैं
हमारी हार का जश्न न मनाना मगर अभी
कि दिल में दबे हुए कुछ तूफ़ान बाकी हैं
हमारी सब्र के और कितने इम्तिहान बाकी हैं
हश्र से भी आगे कितने तूफ़ान बाकी हैं
हर मोड़ पर खड़े हैं जो सब वहशी हैं या दीवाने
है कौन सी वो जगह जहाँ इंसान बाकी हैं
ज़ख्म दर्द ज़ुल्म तड़प सब दे चुका हम को
ज़माने के और क्या एहसान बाकी हैं
जुबां खामोश है, दिल नाशाद हैं लाचार हैं
हमारी आज़ादी की क्या पहचान बाकी हैं
हमारी हार का जश्न न मनाना मगर अभी
कि दिल में दबे हुए कुछ तूफ़ान बाकी हैं